
गाँव छोड़ मैं शहर की ओर चला,
रोजी रोटी की जुगाड में,
छूटा माँ के आँचल का सिलसिला,
गाँव छोड़ मैं शहर की ओर चला ।
ये गलियाँ ये सड़क ये नीम की छाया,
जहाँ भरी दोपहरी में हमने था समय बिताया,
उन लमहों से जुडा है कभी भूल ना पाया,
वो खेतों मे लहलाते गेहूं की बालियां,
छोड़ कर आया किससे कर
Read More! Earn More! Learn More!