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दीदार का तलबगार

कई रातों का जागा हू

मैं सो नहीं सकता,

मेरे दिल में जो मूरत है

उसे मैं खो नहीं सकता,

भले ही दूर हो तुम , मेरे पास ना हो तुम,

मगर मेरे दिल की

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