
ये बिंदास परिंदे हैं उड़ते ही जाना है
जमीन से क्षितिज की दूरी ठिकाना है,
पंख इनके हैं हौसला भी इनका
जमीं से क्षितिज इनका आना जाना हैं ।
ये थकते नहीं कभी कुछ पल रुकते हैं
विश्राम के बाद मंजिल को चलते हैं
इनमें एक हस
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ये बिंदास परिंदे हैं उड़ते ही जाना है
जमीन से क्षितिज की दूरी ठिकाना है,
पंख इनके हैं हौसला भी इनका
जमीं से क्षितिज इनका आना जाना हैं ।
ये थकते नहीं कभी कुछ पल रुकते हैं
विश्राम के बाद मंजिल को चलते हैं
इनमें एक हस