भावनाओं में जो बह गया
समझो उसका जीवन ठहर गया,
आज लोग प्रैक्टिकल हो गए हैं,
रिश्ते नाते भावना सब निरर्थक हो गए हैं,
यह कमजोरी है जो खुद के विकास के
लिए बाधक है,
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भावनाओं में जो बह गया
समझो उसका जीवन ठहर गया,
आज लोग प्रैक्टिकल हो गए हैं,
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यह कमजोरी है जो खुद के विकास के
लिए बाधक है,