बंधन जो तोड़ दिया खून के रिश्तों का
खून के रिश्तों को ठुकरा दिया जिसने
अंजाम कभी सुखदाई कभी हो नहीं सकता
भरोसा किया गैरों पर वो कदम हुआ रुसवाई
आज युवा पीढ़ी जो प्यार के नाम पर
मर्यादाओं को भूल गया,
मां बाप के त्याग को अपमान का शूल दिया
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