इन आंसुओं की बस्ती में दर्द के झरने फूटे
ये पानी नहीं किसी मजलूम की आंखों के आंसू
इनमें दर्द भी है सिसकते अरमानों का गुबार
ये बस्ती हैं जहां दर्द का दरिया है, ये आंखे हैं ,
सिसकती आंखें ।
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इन आंसुओं की बस्ती में दर्द के झरने फूटे
ये पानी नहीं किसी मजलूम की आंखों के आंसू
इनमें दर्द भी है सिसकते अरमानों का गुबार
ये बस्ती हैं जहां दर्द का दरिया है, ये आंखे हैं ,
सिसकती आंखें ।