
जीवन के इस यात्रा में
इंसान अकेला चलता है,
चाहे धूप की तपन से
लथपथ हो या बारिश में हो
भीग रहा,
रुक सकता नहीं बाधाओं से,
गतिमान सदा वो रहता है,
जीवन के इस यात्रा में
इन्सान अकेला चलता है ।
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जीवन के इस यात्रा में
इंसान अकेला चलता है,
चाहे धूप की तपन से
लथपथ हो या बारिश में हो
भीग रहा,
रुक सकता नहीं बाधाओं से,
गतिमान सदा वो रहता है,
जीवन के इस यात्रा में
इन्सान अकेला चलता है ।