जमीं से जब उड़ा
उड़ता चला गया
इस विशाल क्षितिज को नापते चला गया
जब अंतिम छोर तक पहुंचना जुनून था
आया एक तूफान नीचे उतरता चला गया,
ये भूल थी हमारी या अति उत्साह था
बहेलिया पर कुतरने को तैयार था,
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जमीं से जब उड़ा
उड़ता चला गया
इस विशाल क्षितिज को नापते चला गया
जब अंतिम छोर तक पहुंचना जुनून था
आया एक तूफान नीचे उतरता चला गया,
ये भूल थी हमारी या अति उत्साह था
बहेलिया पर कुतरने को तैयार था,