“आदमी”
आदमी उम्मीद पर जीता रहा,
हर पल मर मर कर,
फिर भी ना विश्वास डिगा,
अपने सपने में खोया,
चल दिया अंजान राह पर,
रास्ता कितना भी लम्बा हो,
अन्त तो होगा कहीं,
अन्त से शुरुआत होगी,
फिर नयी एक राह पर ।
चल दिया नयी
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“आदमी”
आदमी उम्मीद पर जीता रहा,
हर पल मर मर कर,
फिर भी ना विश्वास डिगा,
अपने सपने में खोया,
चल दिया अंजान राह पर,
रास्ता कितना भी लम्बा हो,
अन्त तो होगा कहीं,
अन्त से शुरुआत होगी,
फिर नयी एक राह पर ।
चल दिया नयी