
मैं पर्वत हूं तेरे खातिर,तूं पर्वत की नदियां मेरी,
जान मेरी एक बात समझ ले, तुझ से ही तो दुनिया मेरी,
तूं ही चांद है, तूं ही तारा ,
तुझ से ही तो सरगम मेरी,
तुझ बिन एक पल सौ बरस लगे हैं,
तुझसे ही है चलती धड़कन मेरी ।
आफताब की रश्मि तूं ही,
तू तारों की टिमटिम मेरी
आंधी बिजली है तूं ही और इंद्रधनु
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