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ज्ञान संचार

थमा ना पाओगे अब इस मनोरथ की गति को
पहियों ने सच रूपी वेग की परिभाषा को जाना है। 

था मन जो विचलित झूठ की चादर ओढ़े
आज हुआ इ
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