
जो ये झील सी गहरी आंखें हैं तुम्हारी..
तेरी आंखों में कई बार डूब चुका हूं मैं...
मैं पी कर झूमता हूं इन नशीली आंखों से..
और लोग समझते हैं कि बेवड़ा हूं मैं...!!
ये गैरों की तरफ उठ कर मुझे सताती बहुत हैं..
याद आती हैं जब भी मुझे रुलाती बहुत हैं..
मैं बहुत चाहता हूं अपने दिल पे काबू करना..
मेरे सोए अरमानों को ये जगाती बहुत हैं..!
तेरी आंखों में कई बार डूब चुका हूं मैं...
मैं पी कर झूमता हूं इन नशीली आंखों से..
और लोग समझते हैं कि बेवड़ा हूं मैं...!!
ये गैरों की तरफ उठ कर मुझे सताती बहुत हैं..
याद आती हैं जब भी मुझे रुलाती बहुत हैं..
मैं बहुत चाहता हूं अपने दिल पे काबू करना..
मेरे सोए अरमानों को ये जगाती बहुत हैं..!
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