जीवन's image
‌ चलते रहना ही जीवन है
यद्यपि नियति का सत्य मृत्यु,
नित नवल सृजन के स्वप्न लिए हैं।
चलते रहना ही जीवन है,
हे जीव! यही संदेश दिए हैं।

तू दिनकर सा नित कर्म प्रखर,
उठ देख, प्रकृति कैसे मुखरित,
नित भोर रागिनी खग गुंजित,
कलियां खिल पुष्प सुसज्जित हो,
हो पवन सुवासित है विधान,
आद्वितीय है जीवन चिर महान,
थक हार किंतु ना रुक सुजान,
है दुष्कर, मार्ग प्रशस्त किए हैं।
चलते रहना ही जीवन है,
हे जीव! यही संदेश दिए हैं।

गतिहीन जलाशय ह
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