मुझपे तू अपनी बाते जाया न कर,
शिकवा है! गिला है! बताया न कर ।
लोग तो हाथो मे खंजर लिए फिरते है ,
बे वजह किसी को गले लगाया न कर।।
ख्वाब देहकर आईने मे बैठकर ,
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मुझपे तू अपनी बाते जाया न कर,
शिकवा है! गिला है! बताया न कर ।
लोग तो हाथो मे खंजर लिए फिरते है ,
बे वजह किसी को गले लगाया न कर।।
ख्वाब देहकर आईने मे बैठकर ,