![तुम प्रेम नहीं कर पाओगे!'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40rtika-rtu/None/IMG_20221103_172315_009_19-01-2023_16-27-17-PM.jpg)
मृदु सरिता के मानस कठोर।
मत जल में होकर के विभोर
जल ही समझो अंतर्मन को।
कर भाव-प्रवाहित स्पंदन को,
क्या पुष्प सदृश झर पाओगे?
तुम प्रेम नहीं कर पाओगे!
तुम भावुक पर गंभ
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मृदु सरिता के मानस कठोर।
मत जल में होकर के विभोर
जल ही समझो अंतर्मन को।
कर भाव-प्रवाहित स्पंदन को,
क्या पुष्प सदृश झर पाओगे?
तुम प्रेम नहीं कर पाओगे!
तुम भावुक पर गंभ