सबकुछ पाकर भी
अधूरापन रह गया
ज़्यादा की चाह में
थोड़ा भी बह गया
किसी से लंबी बातें भी
बेमतलब रह गईं
किसी की खामोशियाँ
बहुत कुछ कह गईं
उलझी रही
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सबकुछ पाकर भी
अधूरापन रह गया
ज़्यादा की चाह में
थोड़ा भी बह गया
किसी से लंबी बातें भी
बेमतलब रह गईं
किसी की खामोशियाँ
बहुत कुछ कह गईं
उलझी रही