
ये ज़िंदगी भी ना जाने
कैसे कैसे रंग दिखलाती है
जिनसे ना मिलना चाहो दोबारा
उन्हीं से बार बार मिलवाती है
हर रोज़ हर क़दम
अपने मुताबिक़ चलाती है
समझ नहीं आता आख़िर<
Read More! Earn More! Learn More!
ये ज़िंदगी भी ना जाने
कैसे कैसे रंग दिखलाती है
जिनसे ना मिलना चाहो दोबारा
उन्हीं से बार बार मिलवाती है
हर रोज़ हर क़दम
अपने मुताबिक़ चलाती है
समझ नहीं आता आख़िर<