![ज़िंदगी की चाल's image](/images/post_og.png)
हाल ज़िंदगी का बेहाल है
भटकी हुई सी
ज़िंदगी की चाल है
गिरना ,रुकना फिर
उठना फ़िलहाल है
मसले ज़िंदगी के
सिर पर सवार हैं
सुलझे न सुलझता
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हाल ज़िंदगी का बेहाल है
भटकी हुई सी
ज़िंदगी की चाल है
गिरना ,रुकना फिर
उठना फ़िलहाल है
मसले ज़िंदगी के
सिर पर सवार हैं
सुलझे न सुलझता