थका देती हैं शिकायतें कभी
तो कभी बिन बात के आँखें नम होती हैं
ये ज़िंदगी है साहिब......
यहाँ दिखने वाली हर चीज़ महज़ भ्रम होती है
काटती है खामोशियाँ कभी
तो कभी लफ़्ज़ों से चुभन होती है
ये ज़िंदगी है साहिब..
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तो कभी बिन बात के आँखें नम होती हैं
ये ज़िंदगी है साहिब......
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काटती है खामोशियाँ कभी
तो कभी लफ़्ज़ों से चुभन होती है
ये ज़िंदगी है साहिब..