वक्त देखने में सीधा सादा
मगर फिर भी मुकर जाता है
पिंजरे से मुक्त पंछी
कब हाथ आता है
वक्त भागने में तेज़
मगर फिर भी ठहर जाता है
छ
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वक्त देखने में सीधा सादा
मगर फिर भी मुकर जाता है
पिंजरे से मुक्त पंछी
कब हाथ आता है
वक्त भागने में तेज़
मगर फिर भी ठहर जाता है
छ