तू's image

करते हो बसर

रोम रोम में मेरी

हरपल न कैसे सोचूं तुझे

ओढूं गर्माहट साँसों की तेरी

या बाहों में आजा समेटूं तुझे


ख्यालों की खुशबू

तेरे लफ़्ज़ों का ज़ायका

करता है हरपल बेसुध

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