लफ़्ज़ों का आभाव है
न जाने कैसा ये तुझसे मेरा जुड़ाव है
दिल में उभरता हरपल तेरा ही भाव है
तू दूर सही मगर मुझे ,सिर्फ़ तुझसे ही लगाव है
तेरी मो
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लफ़्ज़ों का आभाव है
न जाने कैसा ये तुझसे मेरा जुड़ाव है
दिल में उभरता हरपल तेरा ही भाव है
तू दूर सही मगर मुझे ,सिर्फ़ तुझसे ही लगाव है
तेरी मो