
उलझते नहीं किसी से
लफ़्ज़ों को ज़ाया नहीं करते
खामोशियों में पलते रिश्ते
बेवजह आवाज़ नहीं करते
बिगड़ते नहीं किसी पर
किसी से ऐतराज नहीं करते
स
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उलझते नहीं किसी से
लफ़्ज़ों को ज़ाया नहीं करते
खामोशियों में पलते रिश्ते
बेवजह आवाज़ नहीं करते
बिगड़ते नहीं किसी पर
किसी से ऐतराज नहीं करते
स