
ढेर सारी शिकायतों का रखे क्या हिसाब
समझौते हैं हजारों और लापता जुड़ाव
रोज़ ढलती उम्मीदों की खोले क्या किताब
सवाल हैं हज़ारों और गुमशुदा जवाब
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