बीतते साल के साथ
बहुत कुछ बदल गया
बिखरा कहीं बहुत कुछ
तो काफ़ी कुछ संभल गया
बंद हुए अध्याय कई
तो कई नए प्रसंग शुरू हुए
डगमगाते हौसलों के संग
कई प्रयास विफल हुए
छोड़ा ना
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बीतते साल के साथ
बहुत कुछ बदल गया
बिखरा कहीं बहुत कुछ
तो काफ़ी कुछ संभल गया
बंद हुए अध्याय कई
तो कई नए प्रसंग शुरू हुए
डगमगाते हौसलों के संग
कई प्रयास विफल हुए
छोड़ा ना