समझे जो समझे
वरना बातें
फ़िजूल हैं
दिखावों के दौर में
सादगी महज़ फ़ितूर है
बहले तो बहले
वरना रौनकें
बेनूर है
दर्द की च
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समझे जो समझे
वरना बातें
फ़िजूल हैं
दिखावों के दौर में
सादगी महज़ फ़ितूर है
बहले तो बहले
वरना रौनकें
बेनूर है
दर्द की च