मसले ज़िंदगी के
होते नहीं हल
बीतता नहीं आज,,
इंतज़ार में है कल
क़दम कोशिशों के
होने लगे हैं सुन्न
मंजिलें हैं ओझल,,
रास्ते हैं गुम
दायरे यथार्थ के
कर
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मसले ज़िंदगी के
होते नहीं हल
बीतता नहीं आज,,
इंतज़ार में है कल
क़दम कोशिशों के
होने लगे हैं सुन्न
मंजिलें हैं ओझल,,
रास्ते हैं गुम
दायरे यथार्थ के
कर