हर बहते हुए आँसू को
अपने आँचल में
समाँ लेती थी
जब जब होती थी मैं उदास
माँ तब तब
गले लगा लेती थी
हर उठती टीस पर
माँ अपने प्रेम का
मरहम लगा देती थी
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हर बहते हुए आँसू को
अपने आँचल में
समाँ लेती थी
जब जब होती थी मैं उदास
माँ तब तब
गले लगा लेती थी
हर उठती टीस पर
माँ अपने प्रेम का
मरहम लगा देती थी