लोग चंद यूं भी मिल जाते हैं
ज़िंदगी की राहों में
मुस्कुरातें हैं लब
जिनकी पनाहों में
गुनगुनाता है दिल
थिरक उठती हैं धड़कने
आँखों ही आँखों में
दूर होती हैं उलझने
झूमती हैं सांस
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लोग चंद यूं भी मिल जाते हैं
ज़िंदगी की राहों में
मुस्कुरातें हैं लब
जिनकी पनाहों में
गुनगुनाता है दिल
थिरक उठती हैं धड़कने
आँखों ही आँखों में
दूर होती हैं उलझने
झूमती हैं सांस