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खामोशियों की ज़ंजीरें

सुनाता है हर कोई

मगर सुनता कोई नहीं

जागती रहती हैं रात रात भर

आँखें एक अरसे से सोई नहीं


गिला है हर किसी को

शिकवों की किसी को फ़िक्र नहीं

उदास हैं अरसे से दिल मगर

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