ताल्लुक़ रूह का रूह से
अब दिखता नहीं
जिस्मों के यहाँ सब दीवाने हैं
बिना किसी मतलब के
यहाँ कौन किसको जाने है
दिल से दिल तक पहुंचने
में लग जाते अब यहाँ ज़माने है
अपनेपन के नही
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ताल्लुक़ रूह का रूह से
अब दिखता नहीं
जिस्मों के यहाँ सब दीवाने हैं
बिना किसी मतलब के
यहाँ कौन किसको जाने है
दिल से दिल तक पहुंचने
में लग जाते अब यहाँ ज़माने है
अपनेपन के नही