
कुछ खुशनुमा सी उम्मीदें
कभी कभी यूं
भी चली आती हैं
जैसे बुझते हुए दीपक की
लौ जगमगा उठती है
कुछ ज़िंदादिल सी ख्वाहिशें
कभी कभी यूं
भी मचल उठती
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कुछ खुशनुमा सी उम्मीदें
कभी कभी यूं
भी चली आती हैं
जैसे बुझते हुए दीपक की
लौ जगमगा उठती है
कुछ ज़िंदादिल सी ख्वाहिशें
कभी कभी यूं
भी मचल उठती