दिखावे प्रपंच के मारे लोग
हाय कितने बेचारे लोग
सत्य को लगाते
झूठ का भोग
हाय कितने बेचारे लोग
बेच सुकून खरीदें
उदासियों का रोग
हाय कितने बेचारे लोग
बढ़ता ही जा
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हाय कितने बेचारे लोग
सत्य को लगाते
झूठ का भोग
हाय कितने बेचारे लोग
बेच सुकून खरीदें
उदासियों का रोग
हाय कितने बेचारे लोग
बढ़ता ही जा