![हाथों से बुने रिश्ते's image](/images/post_og.png)
रिश्तों को हाथों से बुनने का
अब ज़माना ना रहा
कोट और जैकेट की भीड़ में
ऊन से बुनी गर्माहट का
अब ठिकाना ना रहा
बुनता नहीं कोई
अब प्रेम और स्नेह को
उंगलियों में लपेट
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रिश्तों को हाथों से बुनने का
अब ज़माना ना रहा
कोट और जैकेट की भीड़ में
ऊन से बुनी गर्माहट का
अब ठिकाना ना रहा
बुनता नहीं कोई
अब प्रेम और स्नेह को
उंगलियों में लपेट