इंसान बढ़ रहे इंसानियत खो गई
चालाकियों से हारकर मासूमियत सो गई
चीख उठी निगाहें लफ़्ज़ जम गए
आवाज़ों के बाज़ार में क़दम थम गए
नक़ाबों की नुमाइश में जज़
Read More! Earn More! Learn More!
इंसान बढ़ रहे इंसानियत खो गई
चालाकियों से हारकर मासूमियत सो गई
चीख उठी निगाहें लफ़्ज़ जम गए
आवाज़ों के बाज़ार में क़दम थम गए
नक़ाबों की नुमाइश में जज़