फ़िक्र कल की करने में
आज को गवां दिया
औरों को खुश करने की खातिर
सर्वस्व ख़ुद का लुटा दिया
संतुष्ट कोई हुआ नहीं
वक्त तेज़ी से दौड़ गया
औरों की सुनते सुनते
ख्वाहिशों का दौर गया
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फ़िक्र कल की करने में
आज को गवां दिया
औरों को खुश करने की खातिर
सर्वस्व ख़ुद का लुटा दिया
संतुष्ट कोई हुआ नहीं
वक्त तेज़ी से दौड़ गया
औरों की सुनते सुनते
ख्वाहिशों का दौर गया