भावों से ही बंधे हुए
भावों से ही स्वछंद हैं
भाव ही में पलते सब
फिर क्यों भाव इतने मंद हैं
भावों से ही सधे हुए
भावों से ही गंभीर हैं
भाव
Read More! Earn More! Learn More!
भावों से ही बंधे हुए
भावों से ही स्वछंद हैं
भाव ही में पलते सब
फिर क्यों भाव इतने मंद हैं
भावों से ही सधे हुए
भावों से ही गंभीर हैं
भाव