आज फिर बदरा छाया है
सावन का मौसम आ गया
लगता है मुझको फिर
तेरे आने का मौसम आ गया
रिम झिम बरखा की बूंदों में
हम तुम सड़कों पर घूमेंगे खुशिया जो हमसे छिनी हैं
उनको फिर से ढढ़ेगे होठो पे कहीं हंसी छुपी है
खुशियों का मौसम आ गया
लगता है मुझको फिर
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