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नादान परिंदा

खुले आसमान में
आजादी से खूब उड़ा हूँ:– मैं
दुश्मनों को मजे चखाने को
खूब लड़ा हूँ:– मैं
जिंदगी के नाजुक मोड़ पर आकर
थम गया हूँ:– मैं ,
लोग मुझे कमज़ोर समझने लगे
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