ना हो मन में कोई ईर्ष्या,
ना द्वेष का समावेश हो
गंगाजल जैसे हो पावन भक्ति,
आस्था में गजराज का बल हो।
श्रद्धा, प्रेम और सच्चे मन से
आराधना हो सिद्धि विनायक की,
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ना हो मन में कोई ईर्ष्या,
ना द्वेष का समावेश हो
गंगाजल जैसे हो पावन भक्ति,
आस्था में गजराज का बल हो।
श्रद्धा, प्रेम और सच्चे मन से
आराधना हो सिद्धि विनायक की,