![कोहरा [ KOHRA ]'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40rmalhotra/None/egret-g66d6f5052_1920_27-03-2022_10-29-51-AM.jpg)
हाथ को हाथ सुझाई नहीं देता,
जब धरा को घेर लेता है कोहरा।
तोड़ देता है कोहरे के भ्रम सारे,
सूरज के संग जब आता है सवेरा।
आगमन दिनकर का जैसे ही होगा
छँट जाएगा वसुंधरा से कोहरा,
भ्रम व भय की मिट जाएगी धुँध,
रोशनी लेकर आएगा नया सवेरा।
ओस की सब बूँदें
मोती सी चमक जाएँगीं,
धुँधलायी हुई वसुंधरा
कमल सी उज्ज्वल हो जाएगी।
दरख़्तों में दुबके परिंदों की
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