गुम अँधेरों से उभरती वीरांगना's image
532K

गुम अँधेरों से उभरती वीरांगना



चंचल पवन सी वो सबके दिलों को छू जाती

अपनी बेबाकी से हर पल को रोशन कर देती,

कुछ तो कशिश थी उसकी आवाज में जो मोह लेती मन,

पर ना जाने क्यों वो फूलों सी महकती मनमोहिनी कहीं खो गई

जो मनमौजी होकर बिन कहे हर सफर तय कर लेती

पर आज क्यों वो चलकदमी उसकी डगमगा सी गई

यूँ तो उसके फन के कद्रदान बहुतेरे थे, पर आज वो क्यों खुद में सिमट गई

मुरझाई सी बेसुध वो खुद को कैद कर लेती,

दुनिया की चहलपहल से दूर उसकी तन्हाई की दुनिया सी बन गई

वक्त भी क्या अजीब था, जो सबके लिए हर पल साथ

Read More! Earn More! Learn More!