वीर रस's image
वीर रस में लिखना देखो मैं भी दिल से चाहता हूँ, 
कलम से निकले शब्दों को शोलों सा दहकाता हूँ, 
मंच पर चढ़ कर जोर-जोर से देखो मैं चिल्लाता हूँ, 
वीर रस के कवियों की भाँति मुद्राएँ बनाता हूँ, 
पर तभी मुझे याद आ जाती हैं मेरी शादी की वो रात, 
जल्द ही पता लग गई मुझे सब पतियों की औकात, 
किस तरह मेरे अंदर का शेर चूहा बनकर भागा था, 
हमने पत्नी के सामने अपना वर्चसव त्यागा था, 
चाहे आप हो कोई नेता या ग्राम विकास अधिकारी, 
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