
ज़मीन बेच क बाबु की,नई फार्च्यूनर कढ़वाई है,
छोड़ क अपनी जमींदारी,या बिदेशी पूंछ बँधवाई है,
माँ के हाथ की नुनी रोटी इब भावती कोनी,
जबत शहरी मैडम के गेला वो पनीर चौमिन खाई है,
हाँ मैं उसे देसी कौम का छोरा स
Read More! Earn More! Learn More!
ज़मीन बेच क बाबु की,नई फार्च्यूनर कढ़वाई है,
छोड़ क अपनी जमींदारी,या बिदेशी पूंछ बँधवाई है,
माँ के हाथ की नुनी रोटी इब भावती कोनी,
जबत शहरी मैडम के गेला वो पनीर चौमिन खाई है,
हाँ मैं उसे देसी कौम का छोरा स