वो संस्कार से जन्मी हैं,अपने कुल की वो देवी हैं,
मर्यादा की ज्योति से दूजे कुल को उज्जवल करती,
सारी ही ये सृष्टि उससे, कहलाती वो बेटी हैं,
प्यार से हर रिश्ते को सींचे, ऐसी कुशल वो गृहणी हैं,
मर्यादा की ज्योति से दूजे कुल को उज्जवल करती,
सारी ही ये सृष्टि उससे, कहलाती वो बेटी हैं,
प्यार से हर रिश्ते को सींचे, ऐसी कुशल वो गृहणी हैं,
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