
राम!
तुम्हारे इस नाम को सुनते ही मन में भाव आते है अकस्मात।
एक भाव सीता सा , जो तुमसे मिलकर हो जाता है एकाकार।
एक भाव हनुमत सा , जो भक्ति में मग्न होकर कर जाता है सभी काम ।
एक भाव दशरथ सा, जो तुम्हारे वियोग में छोड़ना चाहता है संसार।
तुम्हारे इस नाम को सुनते ही मन में भाव आते है अकस्मात।
एक भाव सीता सा , जो तुमसे मिलकर हो जाता है एकाकार।
एक भाव हनुमत सा , जो भक्ति में मग्न होकर कर जाता है सभी काम ।
एक भाव दशरथ सा, जो तुम्हारे वियोग में छोड़ना चाहता है संसार।
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