सुबह और रात का सिलसिला
यह धर्मो का मसला
वोह काली रात का किस्सा
मुझको तो कुछ नहीं पता।
जिस्मों पर लगता सट्टा
अंगूर के रस का चस्का
खुद के ईमान को बेचने का हौसला
मुझको तो कुछ नहीं पता।
वोह छोटी उम्
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सुबह और रात का सिलसिला
यह धर्मो का मसला
वोह काली रात का किस्सा
मुझको तो कुछ नहीं पता।
जिस्मों पर लगता सट्टा
अंगूर के रस का चस्का
खुद के ईमान को बेचने का हौसला
मुझको तो कुछ नहीं पता।
वोह छोटी उम्