ग़ज़ल's image
मैं थक गई कहते कहते मेरे ही रह जाओ तुम
इतनी मोहब्बत कर के भी तन्हा रह गए हम।

थोड़ी सरकती आस या भींग रहा मौसम भी
सुनने की उम्मीद थी तुमसे कहते रह गए हम। 

ग़म-गुज़ारिश करता है लफ़्ज़ों में लिख जाओ
लिखी सारी आफ़त तेरी हर्फ़ों में रह गए हम।

सुलग रही है चिंगारी ख़्यालों की भीनी भीनी
बिखरी राख लपेटे तुझमें बिखरे रह गए हम।

Read More! Earn More! Learn More!