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आओ, फिर दीप जलाकर

 आओ, फिर दीप जलाकर
मन का अँधियारा भगाये।
अंर्तमन को प्रज्वलित कर
रोशनी चहु ओर बिखराये।

ओझल लक्ष्य को रोशन कर
पथ की बाधा को हर जाये।
समय जाल की चक्र को तोड़
सुंदर भविष्य रेखित कर जाये।
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