
कल शब कई रातें निगलने कि कोशिश की मैंने
रातें जो फ़िराक़ में गुज़ारी थी
रातें जो रंजीदा होकर काटी थी
वो सब रातें जो मुझे ज़हर
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कल शब कई रातें निगलने कि कोशिश की मैंने
रातें जो फ़िराक़ में गुज़ारी थी
रातें जो रंजीदा होकर काटी थी
वो सब रातें जो मुझे ज़हर